दुनिया की सबसे तेज ट्रेन इसमें नहीं होते लोहे के पहिये, हवा में रहती है पूरी ट्रेन

The world's fastest train does not have iron wheels, the whole train remains in the air

भारतीय रेलवे इस समय अपने आधुनिकीकरण में व्यस्त है। यात्रा को आसान बनाने के लिए नई सेमी-हाई स्पीड ट्रेनें चलाई जा रही हैं। अगर भारत में सबसे तेज दौड़ने वाली ट्रेनों की बात करें तो वो हैं वंदे भारत और तेजस एक्सप्रेस। लेकिन आज हम आपको दुनिया की सबसे तेज चलने वाली ट्रेन के बारे में बताएंगे जिसकी स्पीड के बारे में सुनकर आप हैरान रह जाएंगे।

यह दुनिया की सबसे तेज ट्रेन स्पीड है

दुनिया की सबसे तेज चलने वाली ट्रेन जापान या अमेरिका में नहीं, बल्कि भारत के पड़ोसी देश चीन में है। शंघाई मैग्लेव ट्रेन कहलाने वाली यह ट्रेन शंघाई के पुडोंग हवाई अड्डे को लोंगयांग रोड स्टेशन से जोड़ती है। शंघाई मैग्लेव ट्रेन की अधिकतम गति 460 किमी प्रति घंटा है। इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि इस सुपर स्पीड ट्रेन से आप नोएडा से इलाहाबाद के बीच की 700 किमी की दूरी डेढ़ से दो घंटे में तय कर सकते हैं।

हवा में एक ट्रेन

इस ट्रेन की एक खास बात यह है कि इसमें पारंपरिक लोहे के पहिए नहीं लगे हैं, बल्कि यह मैग्नेटिक लेविटेशन (मैग्लेव) से चलती है। इस तकनीक में पटरियों पर चुंबकीय प्रभाव पड़ता है और इन पटरियों पर ट्रेन थोड़ी हवा में रहती है। पटरियों के चुंबकीय प्रभाव के कारण ट्रेन स्थिर रहती है और बिना किसी शोर के तेज गति से चलती है।

यह तकनीक जर्मनी की है

मैग्लेव तकनीक मूल रूप से जर्मनी की है। चीन में यह मैग्लेव ट्रेन करीब एक दशक से चल रही है और अब इसने 600 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली अपनी मैग्लेव ट्रेन विकसित की है। हालांकि, इस ट्रेन में यात्रियों को नहीं ले जाया जाता है। यही कारण है कि सबसे तेज चलने वाली ट्रेन का खिताब आज भी शंघाई मैग्लेव ट्रेन के पास है।

अग्रिम टिकट लेना

इस ट्रेन की लंबाई 153 ​​मीटर, चौड़ाई 3.7 मीटर और ऊंचाई 4.2 मीटर है। इसमें कुल 574 यात्री सफर कर सकते हैं। इसमें 3 तरह के कोच होते हैं, जिनमें फर्स्ट क्लास, सेकेंड क्लास और एंड सेक्शन शामिल हैं। इस ट्रेन में यात्रा करने के लिए यात्रियों को पहले से बुकिंग करानी होती है। इस ट्रेन का मजा लेने चीनी नागरिकों के अलावा विदेशी भी चीन जाते हैं।

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