Shri Gadkalika Temple : तंत्र-मंत्र की देवी मानी जाती है मां गढ़कालिका, नवरात्र में लगा रहता तांत्रिकों का हुजूम
▪️ लोकेश वर्मा, मलकापुर (बैतूल)
Shri Gadkalika Temple: देवी को ज्ञान की, बुद्धि की और सर्वकल्याण की देवी कहा जाता है। प्राचीनकाल में सिद्ध पुरूषों ने माता की आराधना कर सिद्धि पाई थी और कालजयी ज्ञान के अनंत भंडार की रचना की थी। ऐसी ही सर्वकल्याण की देवी उज्जैन में विराजमान हैं, जिनको गढ़कालिका के नाम से जाना जाता है। श्री गढ़कालिका मंदिर उज्जैन का प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर उज्जैन में भर्तृहरि गुफा की ओर जाने वाले रास्ते में स्थित है। तंत्र-मंत्र की देवी के नाम से प्रसिद्ध मां गढ़कालिका देवी का प्राचीन मंदिर कालीघाट पर स्थित है।
माता गढ़कालिका की कथा का वर्णन लिंगपुराण में मिलता है। जिसके अनुसार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान रामचंद्र जब लंका विजय कर अयोध्या प्रस्थान कर रहे थे, उस वक्त कुछ समय के लिए उन्होंने उज्जैन में रुद्रसागर के तट पर विश्राम किया था। रात्रि के समय मां कालिका अपनी भूख शांत करने के लिए शिकार की खोज में रुद्रसागर के किनारे आ गई।
यहां पर उनका सामना महाबली हनुमान से हो गया। माता ने हनुमान को पकड़ने का प्रयास किया तो हनुमान ने विराट और भयानक रूप धारण कर लिया। हनुमान के इस रूप को देखकर माता भयभीत हो गई और भागने लगी। उस वक्त माता का एक अंश गलित होकर गिर गया। माता का जो अंश गिर गया, वही अंश गढ़कालिका के नाम से विख्यात हुआ। गढ़कालिका मंदिर, गढ़ नाम के स्थान पर होने के कारण गढ़ कालिका हो गया है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर मां के वाहन सिंह की प्रतिमा बनी हुई है। कालिका मंदिर का जीर्णोद्धार ई.सं. 606 में सम्राट हर्ष ने करवाया था।
महाकवि कालिदास भी थे इनके उपासक
ऐसी मान्यता है कि एक बार कालिदास पेड़ की जिस डाल पर बैठे थे उसी को काट रहे थे। इस घटना पर उनकी पत्नी विद्योत्तमा ने उन्हें फटकार लगाई, जिसके बाद कालिदास ने मां गढ़कालिका की उपासना की। वे इतना ज्ञानी हो गए कि उन्होंने कई महाकाव्यों की रचना कर दी और उन्हें महाकवि का दर्जा मिल गया।
यहां तांत्रिक क्रिया का अपना महत्व
गढ़कालिका को तंत्र की देवी माना जाता है। यह मंदिर शक्तिपीठ में तो शामिल नहीं है फिर भी हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन करने हेतु यहां पहुंचते हैं। खासकर चैत्र की नवरात्रि में रोजाना तांत्रिकों का मेला इस मंदिर में दिखाई देता है। यहां खासकर मध्यप्रदेश के साथ ही गुजरात, आसाम, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों के तांत्रिक मंदिर में तंत्र क्रिया करने आते हैं।