पिता थे ऑटो ड्राईवर बेटे ने बदल दी किस्मत, टीम इंडिया में मारी थी एंट्री, फिर एक ही टेस्ट मैच के बाद खत्म हुआ करियर!!
आप को बता दें कि इस वक्त कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो घरेलू क्रिकेट में शानदार कमाल दिखाकर टीम इंडिया में अपनी जगह बना रहे हैं। वहीं कुछ ऐसे भी खिलाड़ी हैं जिन्हें मौका मिला पर वह अपनी खराब फॉर्म के कारण इस मौके को बरकरार नहीं रख पाए और कुछ ही मैच खेलने के बाद उनका करियर तुरंत खत्म हो गया।
आज हम ऐसे ही तेज गेंदबाज की चर्चा कर रहे हैं जो कर्नाटक से आए हैं और उन्होंने 2 साल पहले अपने इंटरनेशनल क्रिकेट और फर्स्ट क्लास क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। इसके बाद से वह लीजेंड्स लीग में खेलते नजर आए थे। हालांकि इन्हें भी उम्मीद नहीं थी कि इतनी तेजी से उन्हें टीम इंडिया से बाहर निकाल दिया जाएगा।
आखिर कैसे खत्म हुआ इस खिलाडी का करियर
हम टीम इंडिया के जिस खिलाड़ी की बात कर रहे हैं वह कोई और नहीं आर विनय कुमार है, जिन्होंने 13 साल की उम्र से ही क्रिकेटर बनने का सपना देखा था और उनके पिता एक ऑटो ड्राइवर थे। परिवार की हालत बिल्कुल भी अच्छी नहीं थी फिर भी अपने बेटे के सपनों को पूरा करने के लिए मां-बाप ने पूरी मेहनत की और ग्रुप क्रिकेट और फिर अंडर-19 खेलने के बाद विनय कुमार को साल 2004 में कर्नाटक के लिए फर्स्ट क्लास डेब्यू करने का मौका मिला।
गेंद को कराते थे शानदार स्विंग
उनकी शुरुआत बेहद ही शानदार रही जहां उन्होंने शुरुआती दो विकेट किसी और के नहीं, बल्कि सौरव गांगुली और रोहन गावस्कर जैसे खिलाड़ियों के लिए थे। 3 फर्स्ट क्लास मैच खेलते हुए उन्होंने 20 से अधिक विकेट लेकर कर्नाटक टीम के लिए अपनी जगह पक्की कर ली। विनय कुमार के अंदर किसी भी विकेट पर स्विंग कराने की क्षमता पूरी तरह भरी हुई थी।
खराब प्रदर्शन के कारण टीम में जगह मिलनी हुई बंध
घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन के बलबूते पर विनय कुमार को साल 2008 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूर की तरफ से खेलने का भी मौका मिला और उन्होंने कमाल का खेल भी दिखाया। इसके बावजूद भी प्रदर्शन दिखाने के बाद जब साल 2010 में वेस्टइंडीज में होने वाले टी-20 वर्ल्ड कप के लिए उन्हें टीम इंडिया में चुना गया तो उन्हें श्रीलंका के खिलाफ एक ही मैच खेलने का मौका मिला था।
जिसमें उन्होंने कुमार संगकारा और सनथ जयसूर्या खिलाड़ियों जैसे खिलाड़ियों का विकेट लिया था। लेकिन इस टूर्नामेंट से हारकर टीम इंडिया बाहर हो गई और फिर उन्हें जिंबाब्वे के खिलाफ डेब्यू करने का मौका मिला। इसके बाद टेस्ट डेब्यू के लिए उन्हें 2 साल का इंतजार करना पड़ा। लेकिन जब साल 2012 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उन्हें मौका दिया गया तो खराब प्रदर्शन के कारण आगे उन्हें मौके देने बंद हो गए।